चलो मिलकर होली मनाते
चलो मिलकर होली मनाते
चलो पुरानी रंजिशें भूल जाते हैं
धुन प्यार का गुनगुनाते हैं
और कोई न बच पाए इस होली में
चलो मिलकर होली मनाते ।
जात, धर्म मजहब को एक बनाते हैं
हिंदू ,मुस्लिम, सिख सब एक हो जाते हैं
द्वेष भावना सारे अपने मिटाते हैं
चलो मिलकर होली मनाते हैं।
घृणा, अहंकार, पाप, क्षोभ ईर्ष्या
लोभ और "मैं" को होली में जलाते हैं
आज मिलकर भाई भाई से गले
खुशियां मनाते हैं
चलो मिलकर होली मनाते हैं।
करके पानी की बचत
सूखे अबीर गुलाल उड़ाते हैं
जो नहीं खेले अब तक होली
उनको भी आज सराबोर कर जाते हैं
चलो मिलकर होली मनाते हैं।
धरती रंगीन और अंबर को रंग जाते हैं
इस होली में पानी को उपहार दे जाते हैं
भेद भाव की भावना को दूर भागते हैं
चलो मिलकर होली मनाते हैं।