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Alka Soni

Inspirational

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Alka Soni

Inspirational

चाह तेरी

चाह तेरी

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अब न रही मुझको

चाह तेरी

कब तक तकुंगी

राह तेरी


थक गई आंखे भी

अब ये मेरी

स्नेहिल हृदय को तोड़ना,

होता बड़ा सरल।


अब न पियूंगी,

कोई गरल

ढूंढ लूंगी नई 

पहचान मेरी


मीले चाहे कितनी

रातें अंधेरी

निकलूंगी बनकर

नया सवेरा

है स्वयं से

एक वचन मेरा।


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