पर्यावरण
पर्यावरण
धरती बोल रही है मानव से थम जा।
बस कर मुझ पर ये अत्याचार अब
जंगल सारे धराशाई किये तूने
घर अपना बसाने को
क्या लेके आया था
क्या लेके जायेगा
धरती ये पुकारती।
अभी भी वक्त है अभी सूरज ने
रौशनी देना बन्द नही किया।
अभी हवाओं का रूख नही बदला
अभी भी धरती अपनी बचा जा
इंसान होने का फर्ज निभा जा
धरती बोल रही इंसान से बस कर
वापस तूझे अब आना होगा
अपनी जड़ों को बचाने को।