शिव
शिव
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शिवालय हुआ पूरा कुटुम्ब मेरा
गूंजने लगा हर ओर शिव भोले भंडारी की धुन
हरित हुआ धरती का हर कोना
बजने लगा कांवड़ियों का जय घोष
तन भी शिव मन भी शिव शिवालय हुया मेरा पूरा तन मन
धरती ने ली अंगडाई
हर पत्ता धर पत्ता कुम्हला रहा था
सावन ने दी अंगडाई
हर डाली ने ली गहरी सांस
हां मयूर भी नाचने को आतुर
प्रभू के भक्ति में गुजरे जीवन का हर लम्हा।