लाज बचा पर्यावरण की
लाज बचा पर्यावरण की
है मानव धन्य है तू,
धन्य है तेरा स्वरूप,
उद्देश्य भी महान तेरा,
इसको न कर कुरूप,
पर्यावरण को नष्ट कर,
क्यूँ कर रहा विनाश तू,
आगे कैसे जीएगा फिर
मनन इसका कर तू
गहरी चुनौती जीवन तेरे,
दे कुछ नया आयाम तू ,
प्रकृति की देह को,
न क्षति अब पहुँचा तू
ना सत्य कर उस बात को,
आ बैल मुझे मार तू।
नहीं बचेगा जीवन तेरा
इसका कर मलाल तू
करता रहा गर यूं मनमानी,
अस्तित्व होगा फिर संकट में,
स्वार्थ और अहम में आकर,
अपने अब हिंसक न बन तू
करके ऐसा काम दिखा दे,
जिस पर तुम्हें गर्व दिखाई दे,
इतनी ख़ुशियाँ बाँटो सबको,
हर दिन पर्व दिखाई दे।
हरे वृक्ष जो काट रहे हैं,
उन्हें खूब धिक्कारो तुम,
ख़ुद भी पेड़ लगाओ इतने,
सबको धरती स्वर्ग दिखाई दे।
प्लास्टिक बैग को टाटा कर दो,
खादी,जूट का इस्तेमाल करो।
कूड़ा कचरा नहीं फैलाओ,
इस प्रयास को सफल बनाओ तुम।
