हॉं..नदी हूँ मैं..
हॉं..नदी हूँ मैं..
खुद में समेटे अथाह जल
मैं हूँ निर्मल मैं हूँ अविरल
हर पल करती हूँ कल कल
अनंत पथ पर बहती जाती हूँ मैं
हॉं नदी हूँ मैं
सिंचित करती हूँ मैं धरा
करती हूँ सब कुछ हरा भरा
मेरे होते न कोई प्यासा मरा
जन जन की प्यास बुझाती हूँ मैं
हॉं नदी हूँ मैं
रास्तों में मुझे जो भी मिला
सबको सहर्ष अपना लिया
राह में पर्वत मिले या कोई शिला
निर्भीक हो सबसे टकराती हूँ मैं
हॉं नदी हूँ मैं
अपने लक्षय को मुझको पाना है
सागर से एकाकार हो जाना है
निरंतर पूर्णत: प्रयासरत रहना है
संसार को यह संदेश बताती हूँ मैं
हॉं नदी हूँ मैं।