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Mr. Akabar Pinjari

Inspirational

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Mr. Akabar Pinjari

Inspirational

आ बैल मुझे मार

आ बैल मुझे मार

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आफतों के सिलसिलों पर इस तरह यूं हो सवार,

पत्थरों को चीरकर, बना दें तू एक दरार,

रौद्रता से बादल गरजे या कड़कने लगे शरार,

फिर भी तू ये ना कहना, आ बैल मुझे मार।


थक चुका हो आसमां, या रुक गई हो चांदनी,

चल पड़ी हो या पवन, या दहकती हो रौशनी,

जिंदगी के खेल में, जंग की ना कर पुकार,

फिर भी तू ये ना कहना, आ बैल मुझे मार।


सद्विचारों से कर्म करता, चल तू अपनी राह,

कुसंगति के विचार से, रोक ले तू अपनी चाह,

अधर्म की बेड़ियों का, अब न तू हो शिकार,

फिर भी तू ये ना कहना, आ बैल मुझे मार।


अहिंसा, नीति, विवेक से, होता है गर तुझ को प्यार,

घृणा, द्वेष, भेदभाव, सबको कर तू, यूं ही दरकिनार,

इंसानियत के शस्त्र से, हैवानियत पर कर तू वार,

फिर भी तू ये ना कहना, आ बैल मुझे मार।



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