ममता
ममता
बच्चे को लगाए वह सीने से,
मां की ममता उसे दुलार रही।
कभी माथे कभी गाल पर उसे,
प्यार से वह उसे पुचकार रही।
बच्चे का जहान है मां उसकी,
मां के बिन न कभी रह पाए।
बच्चे को निहारती मां उसकी,
कैसे वह उसके बिन रह पाए।
रोए जब बच्चा तो वह भी रोती,
उसकी फिक्र में वह रहती खोई।
न आराम ही करती, न वह सोती,
आस रहती की मदद कर दे कोई।
फिर वह खुद उठ खड़ी हो जाती,
बड़ी दृढ़ता से ही आँसू पोंछ कर।
जब चहकने की आवाज़ है आती,
धन्यवाद करे वह हाथ जोड़ कर।
चंचलता पर उसकी बलैया लेती,
बुरी नज़र न लगे कभी बच्चे को।
आंचल में छुपा उसे वह तब लेती,
जब निंदिया सताए उस बच्चे को।
मां ही ईश्वर है मां ही मन्नत,
मां की ममता अपरंपार है।
उसके पैरों में है देखो जन्नत,
उसको प्रणाम बारंबार है।