सत्य की मैं परछाईं हूँ, फिर भी मैं पराई हूँ। सत्य की मैं परछाईं हूँ, फिर भी मैं पराई हूँ।
मुझमें नहीं है धीरज तुम सा, थोड़ी शायद है चंचलता पर मुझसे ज्यादा कौन है साथ, कौन प्रेम है कर सकता। मुझमें नहीं है धीरज तुम सा, थोड़ी शायद है चंचलता पर मुझसे ज्यादा कौन है साथ, कौन...
और फिर चुपके से, पंख फैला के उड़ गया ! और फिर चुपके से, पंख फैला के उड़ गया !
हर तरफ बिखरा है स्नेह बंधन प्रेम ही तुम्हारा मेरा दर्पण हर तरफ बिखरा है स्नेह बंधन प्रेम ही तुम्हारा मेरा दर्पण
दौड़ते भागते ज़िन्दगी में वक्त कहाँ कि ठहर कर दर्पण में खुद को निहार एक चपल मुस्कान संग जी लूँ में भ... दौड़ते भागते ज़िन्दगी में वक्त कहाँ कि ठहर कर दर्पण में खुद को निहार एक चपल मुस्...
मानव रूपी राक्षस कहीं उनका ही भक्षण ना कर बैठें। मानव रूपी राक्षस कहीं उनका ही भक्षण ना कर बैठें।