जोखिम (दोहे)
जोखिम (दोहे)
जीवन है जोखिम भरा, दृग जाएंगे मींच।
छुप कर अब क्या फायदा, यम ले जाएं खींच।
मैं मैं मैं क्या कर रहा, तेरी मति है सोय।
जो कुछ है सो ईश का, भ्रम में तू क्यों खोय।
घड़ा पुण्य से तुम भरो, मिल जाएंगे ईश।
जो पालोगे पाप को, मन में होगी टीस।
मान बड़ों का जो करो, मिले तुम्हें भी मान।
जो उनको दुख दे दिया, दुखी रहोगे जान।
जोखिम से उतना लड़ें, जितना हम सह पाय।
अधिक अगर जो हम लड़े, हार मिलेगी हाय।