वीरता का रंग
वीरता का रंग
नीले आसमान में लहराता तिरंगा शान से
वीरता के रंग में रंगा हुआ दिखता आसमान में
बड़ी ही मुश्किल से मिली है ये आज़ादी हम सभी को
कई वीरों ने इस आज़ादी के लिए बहाया है अपने खून को
ना मिलती आज़ादी बिन खड़ग और बिन ढाल
दुश्मनों के खून से धरती माँ का रंग कर दिया लाल
गुलामी की बेड़ियाँ तोड़कर वीरों ने यहाँ नकाब कई खोले हैं
देश की खातिर हर भारतियों ने जय हिन्द के नारे कई बोले हैं
कई वीरों की शहादत से हमने आज़ादी पाई है
माताओं ने पुत्र अपना खोकर इसकी कीमत चुकाई है
देश की खातिर मर मिटने की इच्छा दिल में उनके मचलती है
वो देश की खातिर मर मिटते तब जाकर नई कली कोई खिलती है
हमारे देश के कई वीर हँसकर चढ़ गए फांसी पर
जिसका लाल तिरंगे में लिपटकर घर वापस आया हो
सोचो यह देख क्या बीती होगी उनके परिवारों के दिल पर
कैसे बूढा होगा वो बाप जिसका सहारा है खुद उसके ही कंधों पर
बड़े अरसे बाद ये आज़ादी मिली है हम सबको
जब हर घर-घर में तिरंगा हमारा शान से फहराया है
प्रतीक है यह तिरंगा त्याग का ,बलिदान का और विश्वास का
जिसने दिया योगदान देश में हर उस भारतवासी के सम्मान का
उन वीरों की कुर्बानी को व्यर्थ ना जाने देंगे
फिर से उस गुलामी को अपने देश में ना आने देंगे
गुलामी के अब टूट गए हैं सभी बंधन हुई जश्न की आबादी
सबकी राह में खुशियाँ है अब सबकी है अपनी -अपनी आज़ादी।
