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Usha Gupta

Inspirational

4  

Usha Gupta

Inspirational

प्रशंसा

प्रशंसा

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है प्रशंसा शब्द ऐसा जिसमें है निहित अजब सी शक्ति,

भर देती शक्ति यह हृदय को असीम आनन्द से,

प्रेरणा का बन स्त्रोत कर देती तन मन में,

नव जीवन का संचार।

सुन दो बोल सराहना के हो उठता उत्साहित,

हतोत्साहित व्यक्ति भी।

है प्रशंसा मंत्र ऐसा जो छू मन्तर कर 

देता हीन भावना को सहज ही।


है प्रबल इतना यह मंत्र फिर भी 

होता प्रयोग इसका बहुत कम,

 करने को सराहना किसी और की।

यद्यपि नहीं थकता मानव करते-करते

प्रशंसा अपनी, 

समझता सर्वश्रेष्ठ अपने को।

करना चाहता भी यदि सराहाना किसी और की

तो करना पड़ता सामना अवरोधों का।


अहं आ खड़ा हो जाता राह में सर्वप्रथम,

करे कैसे प्रशंसा किसी और की,

समझता सर्वोच्च जो अपने को।

रोक लेते माता-पिता भी करने से,

सराहना अपने बच्चों की,

डरते कहीं भावना श्रेष्ठता की न कर

जाये घर मस्तिष्क में बालक की,

न लगे देखने औरों को नीची दृष्टि से।

मिले प्रशंसा माता पिता से गर बच्चों को.

  तो छू लेगें वो नई उंचाईयों को,

बोल दें दो मीठे बोल बच्चे भी प्रशंसा में 

माता-पिता की, तो जीवन समझेगें सफल वो अपना।


पति नहीं करता प्रशंसा पत्नी की,

पुरूष अहं तो आता ही है आड़े,

समझता समाज भी पुरूष की

 अपेक्षा हीन नारी को,

 गुमान में प्रशंसा के कहीं नारी समझने

न लगे हीन पुरूष को अपने से,

यह विचार भी बन दिवार खड़ा 

हो जाता सामने पति के,

रख ताक पर अहं यदि कह दे

पति चन्द शब्द प्रशसां में पत्नी के,

पत्नि भी कर दे अभिव्यक्त पति के

 प्रति भावना सराहना की,

तो भर जायेगी नई ताज़ी ख़ुशबू सम्बन्धों में।


महसूस होता है ऐसा कभी-कभी,

होते हैं हीन भावना से ग्रस्त कहीं न कहीं वे जो

नहीं बोलते बोल दो प्रशंसा में किसी की,

छुपा बैठा होता है डर अन्दर ही अन्दर,

कहीं दूसरा न हो जाय श्रेष्ठतर उनसे।

है अहं कारण अनेक कष्टों का,

है प्रशंसा मंत्र निवारण का अनेक कष्टों का,

करें सराहना खुले हृदय से एक दूसरे की,

निकल जायेंगीं अनेकों विकृतियाँ समाज से।।


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