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Harish Bhatt

Classics

3  

Harish Bhatt

Classics

कान

कान

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ये जो कान है

होते हैं बहुत ही नाजुक

कठोर आवाज के साथ ही

हिल जाती है इनकी नींव

आ जाता है जैसे भूकंप


दिमाग में होता है मंथन

जो बचा, वह जाता है दिल में

जो पहले से ही है परेशान

ये जो कान है

होते हैं बहुत ही बेवफा


आधी-सुनते हैं, आधी छोड़ देते हैं

अपनो को बना देते हैं बेगाना

अब किस पर करें भरोसा

आंखों का तो कहना ही क्या

देखकर भी अनदेखा कर देती हैं

जरा सी आहट पर हो जाती हैं बंद

क्योंकि ये नहीं बेवफा


निभाती हैं कान से वादा

दोनों मिलकर बनाते है

हमको दुनिया से बेगाना

किस पर करें भरोसा

अपने ही हो जाएं जब बेवफा।


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