लिखना
लिखना
न लिखता हूं कविता
ना ही बुनता हूं कहानी
समझ में आ जाए जो बात
लिख देता हूं सरल शब्दों में
पूछते हैं मुझसे लिखते हो कैसे
कठिन शब्दों में बात अपनी
कह दिया मैंने भी सुनो जवाब
जिंदगी से कठिन नहीं है लिखना
और रही बात सोचने की तो
सोच कर लिखा तो क्या लिखा
क्योंकि सोचते हैं दिमाग से
और बात निकलती है मन से
बस बात है इतनी सी कि
मन करता है तो लिखता हूं
फिर क्या कठिन और क्या सरल।