Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

ca. Ratan Kumar Agarwala

Classics Inspirational

4  

ca. Ratan Kumar Agarwala

Classics Inspirational

क्या कहूँ क्या न कहूँ

क्या कहूँ क्या न कहूँ

2 mins
312


कुछ तो कहना था, पर क्या कहूँ, क्या न कहूँ ?

कुछ तो लिखना था, पर क्या लिखूँ, क्या न लिखूँ ?

बड़ी कशमकश है, बड़ी उलझन है, दिल में बड़ी धड़कन है।

भाव भी सारे उलझ से रहें, कहीं कुछ तो गहरी चुभन है।

कहना चाहूँ, कह न पाऊँ, लिखना चाहूँ, लिख न पाऊँ।

सुलझना चाहूँ, सुलझ न पाऊँ, उलझनों में उलझता जाऊं।

 

परेशानियां बहुत हैं जीवन में, किस किस के बारे में लिखूँ ?

बड़ी अड़चनें हैं ज़िन्दगी में, किस किस के बारे में कहूँ ?

राह में मिलते लोग बहुतेरे, किस किस के बारे में सोचूँ ?

कहने को तो बातें बहुत हैं जीवन में, क्या कहूँ क्या न कहूँ ?

देखता हूँ ज़िन्दगी की विषमतायें, किस किस की मैं बात करूँ ?

खाली पन्नों की बात करूँ, या कड़वी यादों की बात कहूँ ?

 

भरे पड़े हैं ज़िन्दगी के लम्हे, भूली बिसरी कई यादों से,

किन किन को याद करूँ, किस किस याद की बात करूँ ?

मिलते जीवन पथ पर रोज अनेक, किस किस से मैं बात करूँ ?

किस किस से अपना दुखड़ा गाउँ, किस किस से फरियाद करूँ ?

चुप रह रह कर भी थक चुका, किस से क्या मैं बात कहूँ ?

कोई नहीं है सुनने वाला, किसको कैसे मैं क्या सुनाऊँ ?

 

अकेले भी तो रह नहीं सकता, कौन है जिसके साथ रहूँ ?

ख़ुद पर भी तो भरोसा नहीं, कैसे किसी पर विश्वास करूँ ?

कदम कदम पर धोखे खाएं, कैसे फिर मैं कदम बढ़ाऊं ?

ज़िन्दगी में मिले कई थपेड़े, कैसे ख़ुद का साहिल पाऊँ ?

रुसवाइयाँ भी मिली बहुत, रुसवाइयों से कैसे बच पाऊँ ?

मंजिल भी बड़ी दूर है अभी, कैसे मैं आगे बढ़ पाऊँ ?

 

सवाल जवाब तो बहुत हैं मन में, “हाँ” करूँ या “ना” करूँ ?

भाव बहुत उमड़ते मन में, “सवाल” कहूँ या “जवाब” कहूँ ?

नया नया रिश्ता हैं यह, “अपना” कहूँ या “पराया” कहूँ ?

कई घटनायें हुई जीवन में, “धोखा” कहूँ या “हादसा” कहूँ ?

राह में पथिक मिलते बहुतेरे, “कतरा” जाऊँ या “बात” करूँ ?

उलझने ऐसी भरी पड़ी हैं, कैसे इनको मैं सुलझा पाऊँ ?

 

कुछ तो कहना था, पर क्या कहूँ, क्या न कहूँ ?

कुछ तो लिखना था, पर क्या लिखूँ, क्या न लिखूँ ?

कहना चाहूँ, कह न पाऊँ, लिखना चाहूँ, लिख न पाऊँ।

सुलझना चाहूँ, सुलझ न पाऊँ, उलझनों में उलझता जाऊं।

बड़ी जटिल है यह उलझन, और अधिक मैं उलझता जाऊँ ?

मन में जगा घोर वीतराग, कैसे ख़ुद से मोह जगाऊं ?


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics