कदम साध के रखना होगा
कदम साध के रखना होगा
जाने किस राह चल रहा है जीवन का कारवां?
ख़ुद को छोड़ किसी को किसी की नहीं परवाह।
बुरी आदतें घर कर गई हैं जिन्दगी में हमारी,
जाने किन गलत बातों की छाई रहती है खुमारी?
पता नहीं हमें अपना सब कुछ सही क्यूँ लगता है,
बड़ों की हर बात में ही इन्सान गलतियाँ ढूंढ़ता है।
कोई आजकल अपनी आदतों की जांच नहीं करता,
किसी की बातों में जिन्दगी का सच नहीं उभरता।
पता नहीं सबको कौन से जमाने की हवा लगी है,
पता नहीं सबने आजकल किस नशे की दवा पी है।
कौन कब क्या कहता है कहने वाले को भान नहीं,
बड़ों के लिए छोटों के मन में रहा कोई मान नहीं।
मानता हूँ आदतों को बदलना यूँ आसान नहीं होता,
पर सही आदतों के बिन इन्सान महान नहीं होता।
नहीं जानता आज कोई भी कि वह चाहता क्या है,
कहने वाले को क्या पता कि आखिर कहता क्या है?
कहने वाले कह जाते हैं, पीछे रह जाती है कसक,
सुनने वाले टूट से जाते हैं, झुक जाते उनके मस्तक।
शर्म की हदें सारी टूट गई, आँखों का लिहाज न रहा,
बच्चों और बुजुर्गों के बीच, शर्म का वो साज न रहा।
युवाओं को अब अपने मन में, चेतना जगानी होगी,
क्या सही क्या गलत इस की प्रेरणा भी लानी होगी।
भविष्य जिन कंधों पर, उन्हें भविष्य सुधारना होगा,
आज की युवा पीढ़ी को, कदम साध के रखना होगा।
बुजुर्गों को कल के लिए, अनुभव की राह बिछानी होगी,
युवाओं के मन में उनको, जीवन की चाह जगानी होगी।
समाज और युवाओं के बीच, समन्वय सेतु बनना होगा,
करें युवाओं का मार्ग दर्शन, सही निर्णय हेतु चलना होगा।
