Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Madhu Vashishta

Classics

4  

Madhu Vashishta

Classics

ज्ञान का प्रकाश

ज्ञान का प्रकाश

2 mins
396


जब कैकई करती थी राम को प्यार,

तो क्यों सहना पड़ा उसे इतना अपमान।

वैधव्य क्यों भोगा उसने ?

यदि कैकेई मां दशरथ की प्यारी रानी थी।

तो अपने ही राजा को मृत्यु लोक क्यों भेजा उसने?

राजा दशरथ तो थे राम के पिता।

ज्ञानी, वीर, और सत्यवादी थे सर्वथा।

क्यों कर उनको यह दुख मिला।

क्यों कर असमंजस में आए थे वो?

भगवान के भी पिता बनकर,

कुछ भी क्यों ना कर पाए थे वो?

जब भगवानों को भी इतना दुख मिला

तो इंसानों की क्या हस्ती है?

उन्हें क्यों कर ऐसी निर्मोही मां मिली,

क्यों मिले मोह जाल में घिरे हुए पिता?

इन ख्यालों में उलझी थी मैं,

चाह कर भी कुछ नहीं कर सकती थी मैं!

मुझे दुखी जानकर उसी रात सपने में मेरे कैकेई मां आई।

प्यार करते हुए उन्होंने यह बात मुझे थी समझाई। वह बोली बेटा!

मुझे गलत संगति के परिणाम को बताना था।

मंथरा की कभी बात ना सुनना।

यही सब को समझाना था।

सावित्री ने सत्यवान के प्राण बचाए

क्या बदले में उसने कुछ मांगा था?

पति की जान बचाना तो कर्तव्य था मेरा,

कर्तव्य के बदले क्यों भला मैंने कुछ मांगा था।

पति पत्नी दोनों के सुख, दुख अलग अलग होंगे

तो क्या परिणाम होगा यही इस दुनिया को दिखाना था।

तभी राजा दशरथ जी भी स्वप्न में आए

सर पर हाथ रख कर वो यूं ही मुस्काए।

हम तो लीला करने आए थे और यह भी एक लीला ही हुई,

राम जी से बढ़कर कुछ भी नहीं बस यही दुनिया को दिखाना था।

कैकई तो प्यारी रानी है, परमार्थ के लिए उसने अपमान भी सहा।

बिन समझे बिन जाने लोगों ने जाने उसे क्या क्या ना कहा।

यदि वह ऐसा ना करती तो रावण क्या भला यूं ही मर पाता।

कलयुग के लोगों को शिक्षा देने के लिए क्या रामायण जैसा ग्रंथ बन पाता।

मैं अज्ञानी मूर्ख, तर्क का मारा, जाने क्या क्या था सोचता।

बिन सोचे बिना समझे जाने किसके बारे में था क्या क्या बोलता?

हे परमात्मा नमन है तुमको, सब की गलतियों को तुम माफ करो।

कोई बुरा ना सोच पाए, सबके मन में ज्ञान का प्रकाश भरो।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics