एक टुकड़ा धूप का
एक टुकड़ा धूप का
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सरहदों पर बैठकर
अपनी कहानी आप कहता
जो जीत जाता जंग में
एक कतरा खून का ।
मझधार को साहिल बनाता
हार कर भी जीत जाता
डूबते को मिल गया हो
जो एक तिनका दूब का ।
सब कुछ तमस में डूबता हो
तो समूचा सूर्य बनता
जुगनू सरीखा कौंध जाता
एक टुकड़ा धूप का ।
रात हो काली अमावस
या कि उजला चांद हो
होता रहा उत्सव हमारे
देश में हर त्योहार का ।