आदत भी नहीं पीने की
आदत भी नहीं पीने की
उन चंद लम्हों की सिराईं को
कौन याद करता है,
नई वसंत ए बहार पर
कौन सा पात फिर अपना है।
न दिल लगाया किसी से।
ना गम की शौगात मिली।
आदत भी नही पीने की।
फिर जाने क्यों लत पड़ी लिखने की।
ना पहले कभी समझा था,
ना अब समझता हूं मोहब्बत को।
ना कभी तकरार ना ऐतबार हुआ,
लिखता हूं कि जैसे प्यार हुआ।।
