ए कोविड, ए सुनना ,
ए कोविड, ए सुनना ,
ए कोविड, ए सुनना,
रख धैर्य तनिक, विश्राम कर
दुनिया में ताप का अंत कर।
तू कितना चंचल कितना प्यासा
नित रूप बदलता अब बस कर ।।
वुहान में लेकर जन्म चला,
चला तो बस चलता ही रहा
धरती नापा अम्बर नापा
हर देश गाँव तू व्याप्त हुआ ।।
अपनो को अपनो से दूर किया
जालिम तूने हर दर्द दिया,
बेटा मां का छीन लिया
श्रृंगार दुल्हन का लूट लिया
काम कामगार का छीन लिया
प्रगति के पथ को रोक दिया
ऐसा कुटिल प्रपपंच किया
कि टूटे मानव का आत्मबल, हँसा
पर तू भूल गया, हम मानव हैI
कुदरत की अनूठी रचना हैं
भय से आगे बढ़ जाते हैं
दुर्गम चट्टानों में रास्ता पा जाते हैं ।।
तू देख हमें आगे बढ़ता ,
हर कार्य में परख हमारी क्षमता
अज्ञानी तूने विद्यालय बन्द करना चाहा
देख हमने हर घर को विद्यालय बना डाला ।।
आज हिंदी दिवस है ,तो हिंदी में सुन
विकराल काल मुंह खोलेगा
तू स्वयं भस्म हो जाएगा
मिट्टी में मिल जाएगा
हम आगे बढ़ते जायेंगे
तू ख्वाब बुरा होता जाएगा
हम जीतेंगे हम ही जीतेंगे
हम मानव हैं, संघर्ष करेंगे ।।
