पेड़ जो अब भी हरा है
पेड़ जो अब भी हरा है
वह पेड़ बहुत उदास था
पतझड़ के बाद अपनी पत्ती झरा देने के बाद
उसकी तनों पर कुछ झुर्रियां थी
उन झुर्रियां से बाहर झांक रहा था और देख रहा
अन्य पेड़ों की तृषा क्योंकि उनका दोस्त
उनका सबसे अच्छा मित्र मनुष्य उनके
पास नहीं आ रहा बैठ नहीं रहा
कविताओं कि किताब पढ़ नहीं रहा
और घंटों तक वहीं छांव में आराम नही कर रहा
मैं भी उतना ही उदास था क्योंकि
अब कुछ समय तक मेरा दोस्त अब मुझे छांव
नही देगा दुलार नहीं देगा
अपनी लाताओं की कुचे हिला कर बगैर
हवाओ के हवा नही देगा
फिर मैं जाता हूं उसके पास पत्तियां न होने पर
भी उसने मेरी आहट सुनी और तने हिलाने लगा
मुझे अहसास हुआ कि वह पेड़ झड़ने के बाद भी हरा था
मैं तुम्हारे प्रेम को जानता हूं मेरे दोस्त
पर मैं सुन नहीं सकता
तुम्हारी संवेदना
तुम्हारी स्थिरत में जो वेग है और हिलते रहने में
कुछ कहना और झुक कर मुझे छांव देना
तुम्हारा स्नेह मैं कभी नही भूलूंगा मेरे मित्र
मेरे पेड़ मेरे प्राण पालक
मेरे प्रिय पेड़।