STORYMIRROR

Govardhan Bisen 'Gokul'

Inspirational

4  

Govardhan Bisen 'Gokul'

Inspirational

संवर्धन कर नीर

संवर्धन कर नीर

1 min
358


बड़ी काम की बात है, सुनलो तुम सुजान।

पाणी का संचय करो, यह है अमृत समान।।

यह है अमृत समान, पाणी का मोल जानो।

सुर्य उगलता आग, समय को इस पहचानो।।

पेड़ लगाकर आप, जोड़ो सब इसकी कड़ी।

रोखो पहले नीर, बात तब ही करो बड़ी।। १।।


गर्मी भरे इस ऋतु में, सुर्य उगलता आग।

पाणी मिलने के लिए, करते भागम भाग।।

करते भागम भाग, जीव धरापर तड़पता।

निगलने दिव्य देह, राह कफन भी देखता।।

संवर्धन कर नीर, बन जावो तुम धर्मी।

लगवावोंगे जब पेड़, छटेगी तब गर्मी।। २। ।


कुएं लगे सब सूखने, सूख रहे है झील।

नदी नाले सब सूखे, अब तो बनो सुशील।।

अब तो बनो सुशील, पेड़ धरापर लगावो।

मुल्यवान है नीर, व्यर्थ इसे मत बहावो।।

क्यू सिर पर आपके, काट खा रही है जुएं।

प्यास लगने पर ही, क्या खोदोंगे तुम कुएं।। ३। ।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational