पचं नही या बात
पचं नही या बात
(कुंडलिया छंद)
देखो भर उन्हारो मा, बेमौसम बरसात।
अप्रेल मई माह मा, पचं नही या बात।।
पचं नही या बात, कसा दिवस सेत आया।
निसर्गला छेड़स्यान, मानुस सपा भरमाया।।
करनी को फल संग, निसर्ग को मार सेको।
सुधरो नहीत मंग, ये असाच दिवस देखो।।१।।