बाल कविता - बंदर की शादी
बाल कविता - बंदर की शादी
मंगल धुन आयी आवाज।
भालू का बाजा पखवाज।।
तोता भी शहनाई बाज।
जंगल में शादी है आज।।१।।
आयी बंदर की बारात।
बंदरिया संग फेरे सात।।
खाने में है सब्जी भात।
सबको मिली है सौगात।।२।।
हाथी घोड़ा है उस्ताद।
थाली में है लिया सलाद।।
बाघ शेर भी दो अपवाद।
मस्त भात का लेते स्वाद।।३।।
सियार लोमड़ी को आस।
खाने मिलेगा हमे मांस।।
रातभर बढ़िया किया डांस।
उनको फिर भी न मिला चांस।।४।।
बंदरिया भी करे धमाल।
पहनके मस्त साड़ी लाल।।
बंदर भी मारते उछाल।
मंडप में गुंज रहा ताल।।५।।
