डगर कौन सी चल के आया पथ की ना पहचान कि अब तो राह सुझाओ सुजान। डगर कौन सी चल के आया पथ की ना पहचान कि अब तो राह सुझाओ सुजान।
जीवन बहती धारा, चल उस पार । ठिठक ठिठक कर बढ़ना, व्यर्थ विचार ।। जीवन बहती धारा, चल उस पार । ठिठक ठिठक कर बढ़ना, व्यर्थ विचार ।।
बहु किंमती से पाणी, कसे "गोकुल" जुबान। रोको सबजन पाणी, येव अमृत समान। बहु किंमती से पाणी, कसे "गोकुल" जुबान। रोको सबजन पाणी, येव अमृत समान।