STORYMIRROR

Govardhan Bisen 'Gokul'

Abstract Inspirational

4  

Govardhan Bisen 'Gokul'

Abstract Inspirational

करो पाणी को संचय

करो पाणी को संचय

1 min
458

बात पताकी सांगुसू, आता आयको सुजान।

रोको सबजन पाणी, येव अमृत समान।।धृ।।


ऋतु गर्मीको आयेव, सुर्य ओकसे तपन।

जीव तड़पं पाणीलं, बाट देखसे कफन।।

बहु किंमती से पाणी, येकी बेरा पयचान।

रोको सबजन पाणी, येव अमृत समान।।१।।


थेंब थेंबलं भरसे, मोठा सागर यहान।

थेंब पाणीको प्यासोला, देसे जीवनको दान।।

बहु किंमती से पाणी, येला जीवन तू मान।

रोको सबजन पाणी, येव अमृत समान।।२।।


पाणी फेकसेस खूब, जबं धोवसेस आंग।

नाश किंमती पाणीको, काहे करसेस सांग।।

बहु किंमती से पाणी, नोको करूस डंफान।

रोको सबजन पाणी, येव अमृत समान।।३।।


करं जगको पोषण, पाणी विष्णूको समान।

पाणी येवच जीवन, पाणीलाच सृष्टी जान।।

बहु किंमती से पाणी, मानो वोको अहसान।

रोको सबजन पाणी, येव अमृत समान।।४।।


आट रह्या तरा अना, लगी बिहिरी आटन।

नदी मैली भय गयी, पाणी दूषित पिवन।।

बहु किंमती से पाणी, नोको बनूस नादान।

रोको सबजन पाणी, येव अमृत समान।।५।।


करो पाणीको संचय, आता मनमा तू ठान।

निज स्वार्थ सोड़स्यान, बात येतरी तू मान।।

बहु किंमती से पाणी, कसे "गोकुल" जुबान।

रोको सबजन पाणी, येव अमृत समान।।६।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract