हम हो न सकते नीलकंठ
हम हो न सकते नीलकंठ
व्योमकेश !
हम हो न
सकते नीलकंठ ....
गरल कर
धारण स्वयम
तुमने उबारा
संसृति को
अमिय देवों
ने पिया
झुकना पड़ा
आसुरी प्रकृति को
थम गया
तव कंठ में ही
सृष्टि का विध्वंस
हम हो न सकते ....
साक्षी थे
तुम भी तो
विकराल मंथन के
सर्प सम संतति
समूची
तुम ही चन्दन थे
विष तुम्हें डंसता नहीं
देता हमें शत दंश
व्योमकेश!
हम हो न सकते......
दृष्टि तेजोमय तुम्हारी
पाप होते भस्म
भव- उदधि में
बहने वाले
तुच्छ मानव हम
तुम समय के सारथी
हम काल के बंधक
तुम परे
अवगुंठनों से -
अपनी कुंठाएं अनंत
व्योमकेश!
हम हो न सकते......
