रिश्तों_का_मौसम
रिश्तों_का_मौसम
हर मोड़ पर जिंदगी का रंग बदलता देखा
पल-पल रिश्तों का मौसम बदलता देखा
कल तक जो था अपना बहुत
वक़्त बदला तो रिश्ता पलटता देखा
आसान नहीं हैं सफ़र जिंदगी का
ज़ख्मों को भी हँसकर सहमता देखा
जिसके वास्ते सहे तंज जमाने के
दिल तोड़ मुस्कुराके निकलता देखा
ये अलग बात है न समझे वो आज हमें
मंजिल की जानिब हमने रास्तों को फिसलता देखा
आँखों से टूटकर गिर पड़े आँसू,
बेबसी में जब दिल को तडपता देखा !
किसी के रहमों-करम के हम नहीं का़एल!
अफ़सोस फ़रिशतों को खता कर हँसता देखा !
जलाकर चरागे-दिल हम दुआयें करने लगे
अँधेरों को जब उनकी तरफ़ "आशा"बढ़ता देखा !
हर मोड़ पर जिंदगी का रंग बदलता देखा
पल-पल रिश्तो का मौसम बदलता देखा !
