प्रेम-पत्र
प्रेम-पत्र
प्यार का पहला पत्र लिखने में,
कुछ तो वक्त लगेगा ही !
दिल के कोरे कागज पे..
अपनी प्रीत की स्याही से,
समझ ही नहीं आया.. कि उनको,
क्या लिखें !
अजनबी लिखें या.. मनमीत लिखें,
पहले प्यार की पहली उड़ान..
नयी मंजिल राहें अंजान !
प्यार का पहला पत्र लिखने में,
कुछ तो वक्त लगेगा ही _
कैसे दिल का हाल लिखें..
उनकी चाहत में
खुद को ही भूल गये..
शब्द होठों पे अटक गये
लाख कोशिश की लफ़्ज
कागज पे उतरे ही नहीं !
हाथ कँपकपाँ गये..
कलम हाथ से छूट गयी,
उनकी चा
हत मैं ऐसे ड़ूबे
उबरने में वक्त लगेगा ही !
प्यार का पहला पत्र लिखने में
कुछ तो वक्त लगेगा ही
दिल भर आया..
मन के भाव
आँखों से बह निकले और,
कागज में.. रच -बस गये !
हमने भी उठाया बड़े जतन से,
उन तक पहूँचा दिया..
उनको समझने में कुछ तो
वक्त लगेगा ही !
प्यार का पहला पत्र लिखने में
कुछ तो वक्त लगेगा ही _
जो हम न कह पाये,
शायद ये कागज का टुकड़ा
कह पाये..
उनको हमारे दिल का हाल,
समझने में.. कुछ तो वक्त
लगेगा ही !
प्यार का पहला पत्र लिखने में
कुछ तो वक्त लगेगा ही।