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Vinita Shukla

Classics

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Vinita Shukla

Classics

सखि आई मनभावन होली

सखि आई मनभावन होली

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अब पलाश फूले वन उपवन

दहक उठी चहुं दिस रक्ताभा

कोयल कूहू कर बतलाये -

“पुष्प- धनुष, रतिपति ने साधा”


फागुन की आहट सुन मचले

नर, नारी, बच्चों की टोली

सखि आई मनभावन होली

हरसिंगार बिछे घर-आंगन


पाहुन को देते आमन्त्रण

गुझिया बने, बने ठंडाई

सब आयेंगे लोग- लुगाई

रंगों की बौछारों में फिर


हंसी, बतकही और ठिठोली

सखि आई मनभावन होली

नाचो गाओ, फाग सुनाओ

ढोल- मंजीरा झूम बजाओ

बार बार ना रुत ये आये


बार बार ना रस बरसाए

डोले है यह तन मन ऐसे -

ज्यों गोपी कान्हा संग डोली

सखी आई मनभावन होली


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