Madhusudan Shrivastava

Classics

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Madhusudan Shrivastava

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जय हिन्द हिन्द

जय हिन्द हिन्द

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जय जयति जयति जय हिन्द हिन्द

बोलो सारे जय हिन्द हिन्द

रौशन है जिससे ये दुनिया

वो सूर्य सितारा हिन्द हिन्द


जय जयति जयति जय हिन्द हिन्द


माथे पर अडिग हिमालय है

नीचे सागर चूमें है चरण

नदियाँ करतीं सिंचित इसको

गंगा जल धारा हिन्द हिन्द


जय जयति जयति जय हिन्द हिन्द


बापू, सुभाष, शेखर, बिस्मिल

अशफ़ाक़, भगत, अब्दुल, लाला

निज शीश धरा को देकर के

वीरों ने पुकारा हिन्द हिन्द


जय जयति जयति जय हिन्द हिन्द


है राम कृष्ण की भूमि यही

जन्मे हैं यहीं पर बुद्ध जैन

करती संगम संस्कृतियों का

है पुण्य धरा यह हिन्द हिन्द


जय जयति जयति जय हिन्द हिन्द


गीता, बाइबिल, तृपिटक, कुरान

हम लेते हैं इन सबसे ज्ञान

सब हिल-मिल खुश रहते हैं यहाँ

है सबसे न्यारा हिन्द हिन्द


जय जयति जयति जय हिन्द हिन्द


ॠतुयें मिलती हैं सभी यहाँ

हैं सभी तरह के वनस्पति

देती है सब फल-फूल अन्न

पावन धरती यह हिन्द हिन्द।


जय जयति जयति जय हिन्द हिन्द।


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