मानवता ही श्रेष्ठ धर्म है
मानवता ही श्रेष्ठ धर्म है
मानवता ही श्रेष्ठ धर्म है
सब धर्मों में सर्वोत्तम,
सत्य ही शिव है, कर्म धर्म है
शिव ही सबसे सुंदरतम।
सत् पथ के अनुगामी राही
पथ में जो संताप मिले,
डिगे नहीं निज राहों से गर
स्याह अंधेरी रात मिले,
नेक भाव से कर्म किये जा
कट जायेंगे सारे तम
उपनिषदों का सार यही है
शिव ही सबसे सुंदरतम।
मानवता ही श्रेष्ठ धर्म है
सब धर्मों में सर्वोत्तम।
कर्म किये जा, कर्म किये जा
सब धर्मों का सार यही
प्रेम मनुज से, प्रेम प्रकृति से
धर्मों का आधार यही
सेवा भाव को अपनाकर तुम
पा लोगे उत्तुंग शिखर
है 'कुरान' की बानी यह
अल्लाह ही तो है अकबर।
सत्य ही शिव है,कर्म धर्म है
शिव ही सबसे सुंदरतम।
मानवता ही श्रेष्ठ धर्म है
सब धर्मों में सर्वोत्तम।
काम क्रोध मद लोभ छोड़ कर
शांति प्रेम को अपना लो
छोड़ निराशा और अहम तुम
आशा और विश्वास धरो
अपरिग्रह, अस्तेय, अहिंसा
सत्य धरो, हो नशा-विरत
सम्यक मार्ग चलो तुम मानव
'त्रिपिटक' में है लिखा ये सत्।
सत्य ही शिव है, कर्म धर्म है
शिव ही सबसे सुंदरतम।
मानवता ही श्रेष्ठ धर्म है
सब धर्मों में सर्वोत्तम।।
