एक ग़ज़ल
एक ग़ज़ल
मुहब्बत के सफ़र की तो सभी बातें निराली हैं
यहाँ हर मोड़ पर मिलते दिलों के ही सवाली हैं l
भला मुझको तेरी इस जिन्दगी से क्या गिला-शिकवा।
मेरी यह आप बीती है, तेरे किस्से खयाली हैं।
मेरी दुनिया उन्ही से है उन्ही से साँस है मेरी।
वही हैं फूल बगिया के वही बगिया के माली हैं।
तेरे बिन जी लिया हूँ मैं नहीं अब मर मैं पाऊँगा।
मेरी किस्मत ही काली है तेरी किस्मत में लाली है।
जफ़ा के बादशाह हो तुम वफ़ा क्या तुम निभाओगे।
वफ़ा के बिन हमारी जीस्त की हर रात काली है।

