कहानी होली की
कहानी होली की
हिरण्यकश्यप नाम का
था एक दैत्य राजा।
कहता खुद को परमात्मा
करें सभी उसी की पूजा।।
था उसका एक पुत्र
प्रहलाद नाम था जिसका
जपता था हर घड़ी प्रभु को
यही जुनून था उसका ।।
सह ना सका दैत्य राजा
अपने ही पुत्र की अवहेलना।
कहला भेजा बहन होलिका को
प्रहलाद को लेकर आग में है जलना।।
विष्णु कृपा प्रहलाद पर थी
बाल न बांका हो सका।
जली होलिका भस्म हुई
बुराई अच्छाई को हरा ना सकी ।।
जला होलिका आज भी
करते सब प्रभु का गान।
अबीर गुलाल और रंगों से
खेलते होली और खाते पकवान।।
