तितली रानी
तितली रानी
रंग-बिरंगे पंखों वाली,
आई तितली रानी।
बैठी मेेरे कन्धेे पर,
कहती सुुनो मेरी कहानी।
मेरे रूप रंंग सेे ,
जग मोहित हो जाता है।
मुझे पकडऩे को वो,
बर वस ही दौडे आता है।
मेरे नाजुुुक पंखो से,
अपने मन को बहलाता ।
भूल गया है दर्द को मेरे,
मन नहीं उसका घबड़ाता।
मेरी सुुंदर काया पर ,
कवियों ने कविता कर डाली।
जग की कुटिल कलाओं से,
मेरी उपमा कर डाली।