क्या बनके आते हो
क्या बनके आते हो
क्या हो क्या बन के आते हो,
कभी मानव तो कभी देव बन के आते हो ।
कभी साहिल पे ला के,
कभी तूफां में छोड़ जाते हो।
कभी रोशन करते हो मेरे पथ को,
कभी अंधेरे में छोड़ जाते हो।
कभी मंजिल के पास लाते हो,
कभी राहों में छोड़ जाते हो।
कभी भरते हो फूलों से मेरे जीवन को,
कभी कांटों से भर जाते हो।
कभी सुलझाते हो मेरी पहेली को,
कभी हमको पहेली बनाकर जाते हो।
कभी उजाले का चाँद बन के आते हो,
कभी खुद अमावस की रात बन जाते हो।
कभी हकीकत बन के आते हो,
कभी मेरे ख्वाब बन जाते हो।