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Preeti Sharma "ASEEM"

Abstract

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Preeti Sharma "ASEEM"

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तासीर

तासीर

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तस्वीर उसकी कुछ इस कदर ज़हन में घर कर गई।

आंखों से उतर कर दिल की गहराइयों तक तासीर कर गई।।


खुशकिस्मती, बदकिस्मती से एक लंबी लड़ गई।

वक्त बदला तो बदकिस्मती की तासीर बदल गई।


दुनिया ने दिखाया चेहरा ,ना जाने कितनी ही बार।

आज शख्सियत बनते ही शब्दों की तासीर बदल गई।


दुनिया मतलब की कुछ इस कदर खरीदार बन गई।

पैसे के आगे हर चीज़ की अहमियत की तासीर बदल गई।


अपना-अपना मतलब निकाल कर आगे निकल गई।

तन्हाइयों के फलसफों में रिश्तो की भीड़ की तासीर बदल गई।



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