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GOPAL RAM DANSENA

Abstract Inspirational

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GOPAL RAM DANSENA

Abstract Inspirational

वो मैं हूँ

वो मैं हूँ

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अपने सपनों को जिन्होंने

इस भू पर उतारी

भरके अपने सारे

प्यारे अरमान सारी

गुंजन हुआ तब एक

शिशु की किलकारी

वो मैं हूँ


उनके अरमान अब

पैर ले चल पड़ा

सपने सजाते सब

पल पल हुआ बड़ा

इधर भागे उधर भागे

हक से अधिकार माँगते

दुनियां के आंगन में खड़ा

वो मैं हूँ


अब न वे रहे, न वो दुनिया रही

फिर बस गए एक दुनिया नयी

फिर सजाता हूं एक ख्वाब देकर

पूरा करना है अंतिम साँस लेकर

सांसो पर भी विस्वास नहीं है

लालसा थी जहां आज वहीं है

आंसू से अपना पलकें

भिगा कर जो रो पड़ा

वो मैं हूँ।


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