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SANDIP SINGH

Romance

4.5  

SANDIP SINGH

Romance

गज़ल

गज़ल

1 min
331


हाल दिल का अपना सनम सुनाएं कैसे,

 नूर ए तन तुझ में नज़र समाएं कैसे।


रात दिन तुम रहती हो पर छाई जैसे,

तुम बिना अब दिल शीतल कि सम जीएं कैसे।


बात दिल की लब पर आ कर बोले जानू,

राह अब यूं बिन तेरे नित निभाएं कैसे।


यूं अभी भी दिल देती मुझ को सब परियां,

पर मिला है हद से तू कि रिझाएं कैसे।


जिंदगी की अब साथी तुम ही हो प्यारी,

अलग दुनिया अब प्रिय सनम बनाएं कैसे।


साथ जीना जग नामी हर घर चर्चा है,

यार अब धन सब पर सतत उड़ाएं कैसे।


प्यार में ही अब जीना हमको है तेरे,

ऋण मुझ पर अति है तेरा ही चुकाएं कैसे।


जिन्दगी को सुरभित रसिक करी तू ने ओ।

प्यार मेरे तुझको नित्य हसाएं कैसे।


प्यार संदीप कि निर्मल लगता है तुझको,

चाह कर भी तुमको दिल ठुकराएं कैसे।



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