मेरी कलम से
मेरी कलम से
खुशबु का पीछा करते करते हम तुझ तक पहुंच जाएंगे,
तू बाहें खोल के स्वागत करना मेरा, हम तेरी रूह में उतर जायेंगे..
बचा लिया आखिर फिर मुझे तुमने ऐ खुदा,
सांसे रुक सी जाती है अगर माँ को उफ्फ भी होती है तो..
इतना भी मुश्किल नहीं है तुझे भुला देना,
बस हँसते हुए लबों से आंखों कि नमी को ही तो छुपाना है..
इक बार फिर से आ जाओ मुझे तबाह करने तुम,
सुना है जो भी करते हो बड़ी शिद्दत से करते हो तुम..

