बैठे हैं
बैठे हैं
वो मेरा ख्वाब अपनी आँखों में लगाए बैठे हैं,,
हम इसी बात पे आस लगाए बैठे हैं..
और ये सच है कि हमने जिंदगी में कुछ ज्यादा नहीं कमाया,,
पर जितना कमाया सब इसी पे लगाए बैठे हैं
देखो कितना गुरूर है उन्हें अपनी खूबसूरती पर आज भी,
ज़ालिम अपने हुस्न पे काला निशान लगाए बेठे हैं..
कुछ पल के लिए उन्हें सीने से क्या लगाया हमने,
यू समझो कि मौत को गले लगाए बेठे हैं..
वो तो मेरा इश्क इजाज़त नहीं देता मुझे,
वरना हम भी कमर में खंजर लगाए बेठे हैं..
और देखना है ये ज़हर भी असर करेगा या नहीं,
हम होठों से जाम लगाए बैठे हैं..
और मैंने ग़ज़ल में ये कुछ जो कह दिया,
वो इतनी सी बात को दिल से लगाए बैठे हैं..
