नाम
नाम
अगर जेहन में कभी कोई आए तो उसे याद ही किया जाए,,
मुनासिब यही होगा कि उसका नाम ना लिया जाए..
पिलाना है हमको अगर तो क्यूँ ना ज़हर ही दिया जाए,,
मुनासिब यही होगा कि उसका नाम ना लिया जाए..
और मानते है खूबसूरत है महबूब तुम्हारा भी,,
मगर देखो गुरूर इतना भी ना किया जाए,,
मुनासिब यही होगा कि उसका नाम ना लिया जाए..
और जो छोर गया था मुझे वास्ता खुदा का दे कर,,
क्यूँ ना उसे वास्ता फिर खुदा का दिया जाए..
मुनासिब यही होगा कि उसका नाम ना लिया जाए..

