शायर के ख्याल
शायर के ख्याल
तुम्हें पता भी ना चलेगा हम ऐसे खो जायेंगे,
तुम तलाश करोगे खुली आँखों से हमें,
जब हम हमेशा के लिए सो जायेंगे..
यूं बात बात पे हँस देना तुम्हारा,
अंदर कोई गहरा दर्द लिए फिरते हो क्या..
तुम्हें यकीन है कि मैं संभाल लूँगा तुम्हें,
इसी वजह से बार बार गिरते हो क्या..
तू ही बता क्या जवाब दूँ मैं उसे,
छत पर बैठा कबूतर पूछता है सबब तेरे खत ना आने का..
तेरी तस्वीर बनाने में मसला बहुत है,
घड़ी घड़ी रंग बदलती है तू गिरगिट कि तरह..
अच्छा ही हुआ तू दुनिया जहां से चला गया ऐ ग़ालिब,
भला तू भी कहां तक लिखता किस्से बेवफाई के..

