हैरान हूँ
हैरान हूँ
हैरान हूँ ये जान कर कि तुम हैरान क्यूँ नहीं हो,
परेशान हूँ ये जान कर कि तुम परेशान क्यूँ नहीं हो..
फकत जला कर राख कर दिया सारी खुशियों को मेरी,
इंसान कहने के लायक नहीं तुम श्मशान क्यूँ नहीं हो..
उसने दवा को ज़हर कहा, चलो हम पी कर दिखाएंगे..
और ये ज़िंदगी उसके बगैर ही तो जीनी है,
चलो हम जी कर दिखाएंगे..
होंठों पर आते आते रह गया उस बेवफा का नाम,
जब उसने मुस्कराकर पूछा इतना दर्द लाते कहां से हो..
फिलहाल तो नहीं, ये इश्क दोबारा नहीं..
भर चुके हैं उसके दिए सारे ज़ख़्म,
फिर महफिल में उसका नाम, नहीं दोबारा नहीं..

