कोई गीत तो गा
कोई गीत तो गा
भटके हुए हर्फ़ों को लबों पर ज़रा ले आ,
आ ये महफ़िल सजी है कोई गीत तो गा!
ऐ मुतरिब! इन बेजान लफ़्ज़ों में जान ला,
आ ये महफ़िल सजी है कोई गीत तो गा!
ग़मों में ऐ मुतरिब! इन बेजान लफ़्ज़ों में जान ला,
आ ये महफ़िल सजी है कोई गीत तो गा!
बहते हैं, ख़ुशी में भरे गला,
आ ये महफ़िल सजी है कोई गीत तो गा!
तारों की महफ़िल में, आफ़ताब को बुला,
आ ये महफ़िल सजी है कोई गीत तो गा!
ये गीत हर लब पे गूंजे माँगूं मैं यही दुआ,
आ ये महफ़िल सजी है कोई गीत तो गा!