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sargam Bhatt

Abstract Romance

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sargam Bhatt

Abstract Romance

दरिया के पार

दरिया के पार

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तू दरिया के उस पार से सजन

जल्दी से आजा घर

करे तेरा इंतजार तेरी प्रियतम

भर के आंखों में आंसू सजन

तू अपना कर्तव्य निभाने गया है

इस देश को आजाद कराने गया है

अकेले छोड़ गया है तू मुझको सजन


दरिया के उस पार से सजन

जल्दी से आजा घर

करे तेरा इंतजार तेरी प्रियतम


हे दरिया तू सूख जा जल्दी

मेरे सजन को घर है आना

तू ना सूखी तो आएंगे कैसे

मुझे गले लगाएंगे कैसे

उनके बिना मैं जी नहीं सकती

मेरा संदेशा उनको देना

जल्दी से घर आ जाए

यही उनसे तुम कहना



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