हिंदी -राष्ट्र गौरव
हिंदी -राष्ट्र गौरव
आज इस हिंदी दिवस पर,
मैं हिंदी के लिए लिखने बैठी इक कविता।
सोचती हूँ -क्या लिखूँ ; कैसे लिखूँ ?
इस हिंदी की महत्ता को,
कैसे मैं शब्दों में बयां करूँ ?
भावनाओं की अभिव्यक्ति का माध्यम है,
यह हिंदी
मेरी ,तुम्हारी ,इस हिंद की पहचान है,
यह हिंदी
बुझे मन में आशा का दीप जलाती है,
यह हिंदी,
लेकिन न जाने क्यों ?
अंग्रेजी की भीड़ में कहीं खो सी गई है,
यह हिंदी।
अब वक्त है कुछ कर दिखाने का,
शब्दों का नहीं कर्म का तीर चलाने का।
मेरी इस अधूरी कविता को तलाश है,
एक कवि की
जो मुझे और मेरी इस कविता को उस
के मुकाम तक पहुँचाए।।
