बात
बात
छोड़ो क्यों पूछते हो , बात अब दबी सही।
उस समय न पूछा तुमने , जब रही ये अनकही ।।
क्यों उखाड़ने हैं तुम्हें ये मुर्दे , गड़े इन्हें अब रहने दो।
आंसुओं को आज तुम सागरों तक बहने दो।।
बात थी वो रात की, अब रही न काम की।
दो कौड़ियों के भाव बेची , और बात कर रहे हैं दाम की।।
तो ये पंक्तियां है , जिन्हें अलग अलग बातों में समझा जा सकता है।
