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fp _03🖤

Abstract

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fp _03🖤

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बात

बात

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छोड़ो क्यों पूछते हो , बात अब दबी सही।

उस समय न पूछा तुमने , जब रही ये अनकही ।।


क्यों उखाड़ने हैं तुम्हें ये मुर्दे , गड़े इन्हें अब रहने दो।

आंसुओं को आज तुम सागरों तक बहने दो।।


बात थी वो रात की, अब रही न काम की।

दो कौड़ियों के भाव बेची , और बात कर रहे हैं दाम की।।


तो ये पंक्तियां है , जिन्हें अलग अलग बातों में समझा जा सकता है।


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