हिन्दी
हिन्दी
मुख्य सड़क है हिंदी मुख्य ही रहने दे ।
कच्ची सड़कों की चाह में इसका अस्तित्व न नकारें।
चाहे तो इससे जुड़ जाए या चाहे सिर्फ स्वीकारें ।
अथाह अपार है हिन्दी।
इसका अपना असीम संसार है।
गगन हो या पाताल।
दे रहे सभी हिंदी को ताल है।
माधुर्य का तरण ताल है।
हिंदी हमारा अधिकार हमारा कर्तव्य है।
संस्कृति हमारी इसमें दृष्टव्य है।
सम्मान मिले भरपूर यही हमारा मंतव्य है।
बने राष्ट्रभाषा यही हिंदी का गंतव्य है।
हिंदी संग रहना यही सबका प्राथमिक वक्तव्य है।
