पता ही नहीं था
पता ही नहीं था
पता ही नहीं था मुझे,
क्या करना है....
अनजाने से ख्वाब थे,
अनसूलझी घडी में,
अजनबी रहगुजर,
बनके साथ थें ...
हर राह अजनबी खडी थी,
जिंदगी जहाँ मुडती गई,
दिल को रोशन करती गई,
बस वही कडी जुडती गई...
पता ही नहीं था मुझे,
क्या करना है....
किस मोड पे चलना है,
किस मोड पे मुडना है,
जिंदगी की दास्तान थी,
बस वही पढ़ना है...
ना सोचा दुर का?,
ना पंख लगाकर उड़ना चाहा,
ना हासील कुछ करना चाहा,
लेकिन चलना नहीं छोडा,
राहो से मुहँ नहीं मोडा,
और मंजिल कब मिल गई,
पता ही नहीं चला ...
क्यूँकि पता ही नहीं था मुझे,
क्या करना है ...
